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Best poem on covid19 2020 in hindi

Writer's picture: jyoti sukhijajyoti sukhija

हो रहा

त्रासदी की तपन मे तप, कंचन कुदंन हो रहा

जगत ने जिसे राख जाना, वोही चंदन हो रहा

त्रासदी की तपन मे तप कंचन कुंदन हो रहा

दैवीय शक्ति का आज, फिर से वंदन हो रहा

विश्व मे मेरे देशका, फिर से अभिनंदन हो रहा

त्रासदी की तपन मे तप कंचन कुंदन हो रहा

व्याधि चक्रव्यूह तोड़ने का, चहुंअओर चिंतन हो रहा

योगदान देने को अपना, हर मन मंथन हो रहा

त्रासदी की तपन मेतप कंचन कुंदन हो रहा

सेवा कर मानवता की, धन्य जनधन हो रहा

तलाश में संंजीवनी की, हर एक हनुमन हो रहा

त्रासदी की तपन मे तप कंचन कुंदन हो रहा

कालिया बनी ये विपदा, देश यशोदा नंदन हो रहा

भूली प्रक्रति और मानव का, फिर गठबंधन हो रहा

त्रासदी की तपन मे तप कंचन कुंदन हो रहा

भोग विलास की नगरी मे, करुण क्रंदन हो रहा

चाल देखो समय की, धन ही निर्धन हो रहा

त्रासदी की तपन मे तप कुंदन हो रहा

कुदरत की काया मे, अब नव स्पंदन हो रहा

आएंगी फिर से बहारे, देखो सुगंधन हो रहा

त्रासदी की तपन मे तप कंचन कुंदन हो रहा

धरा को फिर हरियाने को, नभ मेघ घनघन हो रहा

ऐसा दृश्य देख मेरा, शीतल तन मन हो रहा

त्रासदी की तपन मे तप कंचन कुंदन हो रहा

विश्व मे मेरे देश का, फिर अभिनंदन हो रहा

जगत ने जिसे रख जाना, वोही चंदन हो रहा

 
 
 

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